सुरक्षित प्रसव के लिए उचित स्वास्थ्य प्रबंधन जरूरी-डीएम

 

-स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में संस्थागत प्रसव पर जोर

-डीएम ने स्वास्थ्य सेवा को आसानी से आमलोगों तक पहुंचाने के दिए निर्देश

-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में बेहतर सुविधा है उपलब्ध


बांका, 21 जनवरी-


 स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक शनिवार को जिलाधिकारी एवं जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष  अंशुल कुमार के नेतृत्व में हुई । बैठक में सिविल सर्जन डॉ. रविंद्र नारायण, डीआईओ डॉ. योगेंद्र प्रसाद मंडल, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.  लक्ष्मण पंडित, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, डैम अमरेंद्र कुमार आर्या, मूल्यांकन पदाधिकारी मुकेश कुमार, केयर इंडिया के डीटीएल तौसीफ कमर समेत स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी मौजूद थे। बैठक में जिलाधिकारी अंशुल कुमार ने स्वास्थ्य सेवा को आमलोगों तक आसानी से पहुंचाने का निर्देश दिया। विशेष तौर पर उन्होंने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित प्रसव के लिए उचित स्वास्थ्य प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के लिए लोगों को पूरी सुविधा उपलब्ध करवाएं। उन्होंने कहा कि संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देने से ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर में भी कमी आएगी। इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। ताकि सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिल सके और मातृ शिशु-मृत्यु दर पर रोकथाम सुनिश्चित हो सके।  

सिविल सर्जन डॉ. रविंद्र नारायण ने बताया,  सुरक्षित प्रसव के लिए पीएचसी एवं जिले के अस्पतालों में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है। प्रसव के लिए आने वाली प्रसूति को बेहतर से बेहतर सुविधा मिले, इस बात का विशेष ख्याल भी रखा जाता है। इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी एएनएम और आशा अपने-अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करती हैं। बैठक में जिलाधिकारी ने जो निर्देश दिया है, उसका पालन किया जाएगा। 

सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जांच है जरूरी: सिविल सर्जन ने कहा कि शिशु-मृत्यु दर में कमी के लिए बेहतर प्रसव एवं उचित स्वास्थ्य प्रबंधन जरूरी है। प्रसव पूर्व जांच से ही गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की सही जानकारी मिलती है। गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाले रक्तस्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। जिसमें प्रसव पूर्व जांच महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता ना सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती बल्कि, सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। ऐसे में प्रसव पूर्व जांच की महत्ता और अधिक बढ़ जाती,  क्योंकि यह मातृ एवं शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।   


हर माह की नौ तारीख को होती है एएनसी जांच: सिविल सर्जन ने कहा कि सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जांच महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए हर माह की नौ तारीख को सभी पीएचसी एवं सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मुफ्त जांच की जाती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आदि कार्यक्रम के माध्यम से एनेमिक गर्भवती महिलाओं की जाँच की जा रही एवं सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। इसके साथ अधिक से अधिक गर्भवती माताओं की प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने पर बल दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की चारों प्रसव पूर्व जांच, माता एवं उसके गर्भस्थ शिशु की स्थिति स्पष्ट करती और संभावित जटिलताओं का पता चलता है। लक्षणों के मुताबिक जरूरी चिकित्सकीय प्रबंधन किया जाता है ताकि माता और उसके शिशु दोनों स्वस्थ रहें।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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