बुधिया यूपीएचसी में टीबी मरीजों के स्वास्थ्य अवलोकन को लेकर केयर एण्ड सपोर्ट ग्रुप मीटिंग आयोजित


- टीबी मरीज भी बैठक में हुए शामिल, स्वास्थ्य अवलोकन के बाद  आवश्यक चिकित्सा परामर्श 

- टीबी अब लाइलाज नहीं, पर समय पर जाँच और इलाज जरूरी 


भागलपुर-


बुधवार को बुधिया यूपीएचसी में केएचपीटी के सहयोग से  टीबी मरीजों के स्वास्थ्य अवलोकन को लेकर केयर एण्ड सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता यूपीएचस के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ जफर अंसारी ने की। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों और 11 टीबी मरीज एवं 09 केयर गिभर ने भी भाग लिया। वहीं, बैठक के दौरान मौजूद सभी मरीजों का बारी-बारी से स्वास्थ्य अवलोकन किया गया और आवश्यक चिकित्सा परामर्श दिया गया। साथ ही किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सकों से जाँच कराने को कहा गया। साथ दवाई नियमित तौर पर समय से दवाई का सेवन करने समेत अन्य आवश्यक और जरूरी सलाह दी गई। 


इस दौरान डाॅ जफर अंसारी ने बताया, किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे  और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं। 

बीच में दवा नहीं छोड़ेः डाॅ जफर अंसारी ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।

भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

रिपोर्टर

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar

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