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कम्युनिटी ड्रिवेन अप्रोच से सकारात्मक समेकित प्रयासों की आवश्यकता -डॉ.एन.पी. गांधी
-लक्ष्य एक ही, हर स्टूडेंट का जीवन महत्वपूर्ण
-आओ मिलकर
कोटा शिक्षा नगरी पर लगे आत्महत्याओं जैसे सामाजिक अपराध पर अंकुश लगाए
कोटा-
युवा
सशक्तिकरण, युवा तनाव, युवा करियर मार्गदर्शन काउंसलिंग, युवा सामाजिक सशक्तिकरण, क्षमता संवर्धन,स्किल डेवेलपमेंट ग्रामीण एवं शहरी
प्रबंधन के डेवलपमेंट प्रबंधन क्षेत्र के भारत की शिक्षा कोचिंग नगरी, लघु काशी कोटा के
सबसे प्रभावी राज्य ,केंद्र
एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारी गैर सरकारी सामाजिक जन लोक कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक जन-जागरूकता के सफल क्रियान्वयन के लिए लोकप्रिय युवा मैनेजमेंट विश्लेषक डॉ.नयन प्रकाश
गांधी से रिपोर्टर मानवेन्द्र की खास बातचीत
-कोटा शिक्षा नगरी में लगातार हो रही
कोचिंग स्टूडेंट सुसाइड के क्या मायने हैं?
देखिये
कोटा कोचिंग संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर तो कोई प्रश्न पूरे भारत क्या
विश्व में नहीं उठा सकता है तभी आज कोचिंग सिस्टम से कितने युवाओं ने अपने भविष्य
बनाये हैं पूरे भारत और विश्व में हर कोने में आपको कोटा कोचिंग से निकला विद्वत
स्कॉलर प्रोफेसनल मिल जायेगा. रही बात बढ़ती सुसाइड केस की तो उसके संदर्भ में
सामाजिक परिवेश को भांपते हुए मेरा मानना है की इस सामाजिक अपराध जो अधिकतर कैसेज
में मेंटली प्रेशर, तनाव से स्टूडेंट के मन मस्तिष्क में
उपजता है वह है पेरेंट की स्टूडेंट से सामाजिक दूरी, कम उम्र में बिना पारिवारिक अभिभावक की अनुपस्थिति में बिना करियर मेपिंग
किये इंटरेस्ट के खिलाफ पैरेंट्स द्वारा बच्चे की सामर्थ्यता को एक प्रशिक्षित कोच
से जांचे बिना सीधे
आस-पास पडोसी रिश्तेदार सामाजिक प्रभाव से करियर का चुनाव करना आदि कारण माने तो
अतिश्योक्ति नहीं होगी।
-आपके विचार में सुसाइड रोकने में किन-किन
की भूमिका हो सकती हैं? आपके सुसाइड पॉलिसी
फ्रेमवर्क के क्या बिंदु है?
मेरे
हिसाब से स्टूडेंट पेरेंटिंग मनोवैज्ञानिक कोच एवं कम्यूनिटी कम्यूनिकेशन मॉनिटरिंग मेकेनिज्म
फ्रेमवर्क को कड़े रूप से क्रियान्वियत
करना अतिआवश्यक हैं, स्टूडेंट की मानसिक तनाव गलत सही
निर्णय से संबंधित केपेसिटी बिल्डिंग जिसमें स्वास्थ्य के सारे बिंदु कवर होने
चाहिए चाहे वह शारीरिक स्वास्थ्य खान-पान ,मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तिगत समयबद्ध दिनचर्या सेटिंग. इसी प्रकार इस फ्रेमवर्क की दूसरी कड़ी
पेरेंट्स की भी कई मायनो में प्रशिक्षण आवश्यक है क्योंकि देखा गया है स्वयं के
कार्यिकी जॉब सर्विस प्रेशर में माता-पिता आजकल बच्चों को समय नहीं दे पाते उसके चलते
भी परिवार से लम्बे समय से दूरी या उपयुक्त संवाद में कमी सही नियमित पेरेंटिंग
वर्कशाप पेरेंटिंग स्टूडेंट्स ओरिएंटेशन, मंथली पेरेंट्स से फिजिकली
और वर्चुअली हाइब्रिड मेकनिज़म फोलो कर कनेक्ट रहा जा सकता है इससे मैं व्यक्तिगत मानता हूं
की बच्चों को इमोशनल सपोर्ट मिलता रहेगा, तय समय पर उसके तनाव की स्थिति को समझा जा सकेगा, ट्रिपल फोलो आप सिस्टम
द्वारा जिसमें
हाइब्रिड मीटिंग से बच्चे
कोचिंग में
नियुक्त फेकल्टी कोच के व्यक्तिगत अटेंशन में रहेंगे, तीसरी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है एक्सपर्ट कोच विशेषज्ञ जो एनएलपी में
प्रशिक्षित और स्टूडेंट साइकोलॉजी में पारंगत होंगे, अंतिम कड़ी जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है ओवरआल संबंधित कम्युनिटी जिसमे एंट्री एक्जिट गेट पर नियुक्त
सेक्युरिटी ऑफिसर ,हॉस्टल, कोचिंग संस्थानों,पेइंग गेस्ट, व्यक्तिगत मकान मालिकों, मेस संचालक,ज्यूस संचालक,विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि,स्कूल संचालक आदि सभी का स्टूडेंट मनोभाव को समझने का आधारभूत एवं विशेष प्रशिक्षण एवं साथ ही सभी
जगह मानसिक स्वास्थ्य,शारीरिक
स्वास्थ्य आदि से संबंधित सकारात्मक आईईसी मेटेरियल ,आपातकालीन कोचिंग वार संदर्भित कोच
हेल्पलाइन नंबर आदि के साथ चस्पा होना आवश्यक है, इससे तनावग्रस्त स्टूडेंट को रहत मिल सकेगी और सुसाइड काफी हद रुकेगी और समय मिलने के कारण
तनावग्रस्त बच्चों की पहचान कर उन पर कार्य किया जा सकेगा .
-आपके विचार में पारिवारिक भावनात्मक सवांद की इस
परिदृश्य में सुसाइड
रोकने में क्या भूमिका हो सकती है?
अधिकतर
रिसर्च अध्ययन में यह पाया गया है और मेरा भी मानना है कि संकट के समय जब छात्र को भावनात्मक
सहारा नहीं मिलता तो वह आत्महत्या कर लेता है। ऐसा संभवतः जब देखा गया है अधिकांश
स्थितियों में माता-पिता की बेतहाशा आकांक्षायें,मित्रों समाज में बढ़ती प्रतिस्पर्धा दबाव भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है,पिछले वर्षों की कुछ सुसाइड में लेटर
के अंदर यह बात सामने आयी थी। यह भी तर्क है कि शैक्षणिक तनाव छात्रों द्वारा अपनी जान लेने का एक स्पष्ट
कारक है। एक निश्चित स्तर तक अध्ययन करने के बाद जब उन्हें लगता है कि वे असहाय
हैं या वे अपनी और अपने माता-पिता की भूमिका की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते
हैं, तो छात्र
के भीतर एक भूमिका संघर्ष शुरू हो जाता है। इस प्रकार की स्थिति में, छात्रों को लगता है कि उनके पास कोई
विकल्प नहीं बचा है और इसलिए वे ऐसा गलत कदम उठाते हैं जो उन्हें माता-पिता समाज
मित्रों की टीका-टिपण्णी सुनने के भय से ज्यादा आसान सुखद लगने लगता है।
-आपके विचार में स्टूडेंट पेरेंट्स टीचर
और आसपास कम्युनिटी को क्रियान्वित किये जा सकने योग्य महत्वपूर्ण सुझाव?
स्टूडेंट
के पहले गुरु माता-पिता को सर्वप्रथम करियर चयन से पहले बच्चे का नजदीकी करियर सलाहकार मार्गदर्शक
द्वारा सलाह कर आगे बढ़ना चाहिए,स्टूडेंट को एक ही नसीहत है,पेरेंट्स से खुले मन से जुड़ाव रख पूरे
मनोयोग से बात करे और तय समय पर रुचिकर करियर सब्जेक्ट एरिया चुने भीड़ का हिस्सा न
बने व्यक्तिगत समर्थ्य रूचि होने सबसे जरूरी है जो आपको बोझिल नहीं लगेगा .टीचर
कोच को सिंसियर अप्रोच के क्लॉसरूम लेक्चर के दौरान बच्चों के मानसिक तनाव के मनोभावों पर
नजर रखना होगा। साथ ही
कम्युनिटी ड्रिवेन अप्रोच के साथ जिम्मेदारी समझकर स्टूडेंट फ्रेंडली,पॉजिटिव इकोसिस्टम के साथ कोटा शिक्षा
नगरी में बनाये रखना होगा।
साथ ही
संक्षिप्त में बताना चाहूंगा हर बड़े कोचिंग इंस्टिट्यूट में नि:शुल्क सेण्टर फॉर
स्ट्रेस मेनेजमेंट,हैप्पीनेस
सेण्टर,जुम्बा
योग सेण्टर,फनफिल्ड
एक्टिविटीज वर्कशॉप, आउटडोर एक्टिविटीज सिटी नेचर वाक, ग्रुप ट्री प्लांटेशन, इंस्पिरेशनल मेंटरशिप टॉक सीरीज, स्टूडेंट पर्सनालिटी डेवलपमेंट एनरिच्मेंट
प्रोग्राम आदि एक पूरे वर्ष भर की एक टाइम फ्रेम में शेडूलेड़ हो और उसकी सूचि स्टूडेंट
के प्रवेश के बाद होने
वाले ओरिएंटेशन में दिया जाना लागु हो ताकि कोचिंग में प्रवेशित हर बच्चा पहले दिन से ही नियमित
एक्टिविटीज का पार्ट रहकर कभी तनाव में ही न आये. यह सबसे महत्वपूर्ण इनिशिएटिव है
जो राज्य सरकार से तुरंत प्रभाव से लागु किये जाने
चाहिए।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar