सर्दी के मौसम में अपने साथ अपने शिशु का भी रखें ख्याल 

 
-शिशु के डायरिया ,निमोनिया से बचाव के लिए नियमित स्तनपान जरूरी
-जन्म के पहले घंटे के भीतर का स्तनपान, बनेगा जीवन का वरदान 
 
लखीसराय-
 
सर्दी  के   मौसम की दस्तक होने लगी है । साथ ही हम  सभी को एहतियात बरतने की जरूरत आन पड़ी है। ऐसे मौसम में अपने साथ अपने शिशुओं के भी पोषण का खास ख्याल रखा जाना जरूरी है। शिशुओं के आधारभूत पोषण में स्तनपान शामिल है। बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध जरूरी  है। माँ के दूध के अलावा छह माह तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है। स्तनपान कराने से बच्चे में भावनात्मक लगाव पैदा होता  और उसे यह सुरक्षा का बोध भी कराता है। लैंसेंट की  एक रिपोर्ट के मुताबिक छह  माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 फीसद और 15 फीसद कमी लायी जा सकती है। 
 
शुरुआती स्तनपान जरूरी: जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती ने बताया डायरिया व निमोनिया से बचाव के लिए स्तनपान बहुत अधिक कारगर है। माँ के दूध की महत्ता को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यह सुनिश्चित कराया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तानपान की शुरुआत लेबररूम के अंदर ही करायी जाए।  इसके अलावा माँ को स्तनपान की स्थिति , बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने की विधि को समझाने में भी  ममता द्वारा पूरा सहयोग किया जाता है।  ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान माँ के दूध से वंचित न रह जाये। 
उन्होंने बताया कि यदि बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। बच्चे को छह माह तक लगातार केवल माँ का दूध दिया जाना चाहिए और उसके साथ किसी अन्य पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय अथवा भैंस का दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि वह बच्चे के सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए सम्पूर्ण आहार के रूप में  काम करता है। बच्चे को हर डेढ़ से दो घंटे में भूख लगती है। इसलिए बच्चे को जितना अधिक बार संभव हो सके माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए। माँ का शुरुआती दूध थोड़ा कम होता है लेकिन वह बच्चे के लिए पूर्ण होता है। अधिकतर महिलाएं यह सोचती हैं कि उनका दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ रहा  और वह बाहरी दूध देना शुरू कर देती जो कि एक भ्रांति के सिवाय और कुछ नहीं है। माँ के दूध में भरपुर पानी और पोषक तत्व होते हैं। इसलिए बच्चे को बाहर का कुछ देने की जरूरत नहीं होती।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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