माता पिता के बेहतर अपनत्व संवाद से बचाये जा सकते है इमोशनल कमजोर बच्चे -डॉ. एन .पी .गाँधी ,एनएलपी लाइफ करियर कोच



 बच्चो के इमोशनल कमजोरी एवं मानसिक तनाव के बॉडी सिग्नल एवं नेगेटिव संवाद को होगा भांपना  


हाल ही में अप्रेल माह में २०२४ में बीस  वर्षीय नीट कोचिंग  स्टूडेंट ने आत्महत्या का कदम उठाया .कोटा शिक्षा नगरी के यूथ एक्टिविस्ट अंतराष्ट्रीय एनएलपी लाइफ पर्सनालिटी करियर कोच मैनेजमेंट डेवलपमेंट विश्लेषक डॉ.नयन प्रकाश गाँधी का मानना है की

देखा जाये तो शिक्षा नगरी कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग क्षेत्र की कोचिंग अध्ययन माहौल  का पुरे देश में गुणवत्ता के मामले में कोई सानी नहीं है .वर्ष दर वर्ष कोटा कोचिंग नगरी  में नीट मेडिकल और आईआईटी इंजीनियरिंग जेईई की तैयारी हेतु बाहर से प्रवेशित बच्चो की संख्या में इजाफा हो रहा है .देखा जाये तो युवा जनसँख्या में पुरे विश्व में भारत अभी पहली रैंकिंग में है जिसमे चीन भी पीछे है .इससे संभवतया प्रतीत होता है की अभी आगामी एक दशक तक जिस तरीके से कोचिंग में अध्ययनरत स्टूडेंट्स के परिणाम वर्ष दर वर्ष उत्कृष्ट आ रहा है उससे प्रभावित होकर दराज दराज  के राज्यों के छोटे छोटे गांव और कस्बे शहरो सभी जगह से माता पिता अपने बच्चे को कोटा कोचिंग नगरी में मौजूद प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए लगातार ला रहे है . देखा जाये तो कोटा में मौजूद प्रत्येक कोचिंग इंस्टिट्यूट चाहे वह एलन ,रेजोनेंस ,मोशन ,रिलायबल ,आकाश  या कोई अन्य सभी छोटे सब्जेक्टिव कोचिंग संस्थान भी यहाँ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने और हर तरह की सुविधाएं देने में कोई कमी नहीं कर रहे .फिर भी आत्महत्या का दौर थम नहीं रहा इसके पीछे माता पिता की अपने बच्चो से उनके सामर्थ्य या रूचि के विपरीत महत्वकांशा रखना भी बच्चो में मेंटल प्रेशर का सबसे पहला कारण हो सकता है ,जिसे नाकारा नहीं जा सकता .वही दूसरा आत्महत्या के पीछे स्टूडेंट्स का लगातार पढ़ाई करते करते अपनी टारगेट एक्जाम  प्रेपरेशन हेतु मजबूत आत्मविश्वास नहीं होना पाया गया है .एक रिसर्च के अनुसार अधिकतर पढ़ाई के  संदर्भ में तनावग्रस्त स्टूडेंट्स आत्महत्या परीक्षा के रिजल्ट आने से पूर्व या रिजल्ट उजागर होते ही सफल नहीं  होना या इच्छानुसार रेंक प्राप्त नहीं करना भी पाया गया .माता  पिता को चाहिए की वे अपने बच्चो से सम्पर्क बनाकर रखे ,और नकारात्मक विचार बिलकुल न आने  दे ,यथा संभव अगर बच्चा इमोशनल कमजोर है तो  परीक्षा से कुछ माह पूर्व और परीक्षा के परिणाम आने  के कुछ माह बाद तक अपने बच्चो के पास रहे  ,यही सबसे  बेहतर माध्यम हैं इससे आपका बच्चा अंदर से मजबूत भी होगा .इससे माता पिता असल में अपने बच्चे के कोचिंग स्टडी के प्रति डेडिकेशन ,लक्ष्य के प्रति डिटरमिनेशन ,कुछ नवोन्मेष आउट ऑफ़ स्टडी  सब्जेक्ट इंटरेस्ट ,व्यक्तिगत स्टडी स्ट्रेस आदि को भापा जा सके .

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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