बच्चों के लिए अमृतपान के समान होता है स्तनपान, रोग प्रतिरोधक क्षमता को करता है मजबूत

 

: स्तनपान नहीं कराने वालीं महिलाओं में स्तन कैंसर, मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग का खतरा अधिक

: सदर अस्पताल, पोषण एवं पुनर्वास केंद्र मुंगेर सहित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कराने के लिए बनाया गया है ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर

मुंगेर-

बच्चों के लिए अमृतपान के समान होता है स्तनपान, रोग प्रतिरोधक क्षमता को करता है मजबूत । उक्त बातें जिला के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर आनंद शंकर शरण सिंह ने कहीं। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल में स्तनपान कि भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिला भर के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से और सामुदायिक स्तर पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अंतर्गत जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाले प्रसव के बाद डॉक्टर, नर्स सहित अन्य हॉस्पिटल स्टाफ के द्वारा प्रसव के एक घंटे के भीतर नवजात शिशु को स्तनपान सुनिश्चित करवाने के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है। इसके साथ प्रसव के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के समय भी माताओं को कम से कम छह महीने तक नियमित स्तनपान कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चों को नियमित स्तनपान कराने से बच्चों का रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होता है जिससे बच्चे का डायरिया और निमोनिया सहित कई संक्रामक बीमारी से भी बचाव होता है। स्तनपान से शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है। उन्होंने बताया कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जिला में मदर एब्सुलेट अफेक्शन प्रोग्राम (मां कार्यक्रम) के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं के बीच सकारात्मक माहौल तैयार किया जाता है।

सदर अस्पताल परिसर मुंगेर में कार्यरत पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (एनआरसी ) के नोडल अधिकारी और जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) सुजीत कुमार ने बताया कि संस्थागत प्रसव के बाद नवजात शिशु को मां का गाढ़ा पीला दूध जिसे कोलेस्ट्रोम कहा जाता है पिलाया जाना अति आवश्यक है इससे नवजात शिशु का रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होता है। उन्होंने बताया कि शिशु को जन्म से कम से कम छह महीने तक मां सिर्फ और सिर्फ स्तनपान ही कराएं । इसके बाद शिशु को स्तनपान कराने से साथ - साथ ऊपरी आहार के रूप में खिचड़ी, दलिया, हलवा, पीसे हुए फल सहित अन्य पोषक तत्व से युक्त आहार देना चाहिए। उन्होंने बताया कि नियमित स्तनपान बच्चे को उसके मां के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ता है। उन्होंने बताया कि कुछ माताओं के द्वारा बच्चों को स्तनपान नहीं कराना या समय से पहले बच्चे को स्तनपान करने से रोकना बच्चे और उसके मां दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। ऐसी माताओं को स्तन कैंसर, डायबिटीज, मोटापा सहित हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल, पोषण एवं पुनर्वास केंद्र मुंगेर सहित जिला के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में माताओं को स्तनपान कराने में सुविधा के लिए अलग से ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर बनाया गया है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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