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युवाओं को समझनी होगी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी
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- Aug 31, 2020
- 1379 views
- कोविड-19 के दौर में नियमों का पालन करने और करवाने में है अहम भूमिका
- लॉकडाउन व अनलॉक में मिली छूट के दौरान न करें नियमों की अनदेखी
- संक्रमण काल में सामाजिक सतर्कता, सुरक्षा व जागरूकता युवाओं के बिना संभव नहीं
मुंगेर, 31 अगस्त।
कोविड-19 की रोकथाम के लिए सामाजिक सतर्कता, सुरक्षा और जागरूकता जरूरी है। वैश्विक महामारी बन चुके कोविड-19 के संक्रमण से आज कोई देश अछूता नहीं है। संक्रमण के शुरुआती दौर और लॉकडाउन में लोगों ने इसे काफी गंभीरता से लिया। परिणाम यह रहा कि संक्रमण का फैलाव नहीं हुआ। लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान नियमों में छूट दी जाने लगी, संक्रमण के मामले भी बढ़े। हालांकि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरेक स्थिति पर नजर रखते हुए और बेहतर व्यवस्था और सुरक्षा की कवायद में लगा हुआ है। लेकिन लोगों खासकर युवाओं की जागरूकता, सहभागिता और पहल के बिना इसपर लगाम संभव नहीं है। युवाओं के सहयोग से हम संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं
नियमों की अनदेखी पड़ सकती है भारी:
देश में संक्रमण के बढ़ते मामलों का कारण नियमों की अनदेखी और लोगों में सतर्कता और जागरूकता का अभाव भी माना जा सकता है। खासकर बाजार और सड़कों पर बढ़ते चहल-पहल के दौरान कहीं न कहीं लोग नियमों का ताक पर रख दे रहे हैं। हालांकि जीवन को सामान्य रूप से चलाने के लिए घर से निकलना तो जरूरी है, लेकिन इस दौरान हम अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को भूल जाएं यह कहीं से भी सही नहीं है। खासकर युवा वर्ग को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अक्सर अनदेखी और जल्दबाजी में इनके द्वारा नियमों की अनदेखी की जाती है। वहीं कुछ को तो ऐसा लगता है कि वे इतने स्वस्थ रहे हैं और हैं कि वे संक्रमण के प्रभाव में आएंगे ही नहीं। लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि नियमों में अनदेखी करते रहे तो एक दिन बड़ी समस्या समाज के आगे खड़ी कर सकते हैं।
युवा समझें उनके साथ उनका पूरा परिवार और समाज होता है प्रभावित:
मुंगेर के सिविल सर्जन डॉक्टर पुरुषोत्तम कुमार कहते हैं कि कोविड-19 के इस दौर में सबको सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर युवा वर्ग को। इनका एक वर्ग आज भी इसे हल्के में ले रहा है। ये अक्सर बाजार और सड़कों पर समूह में निकल जा रहे हैं। इस दौरान न तो शारीरिक दूरी और न ही मास्क का ख्याल रखते हैं। यह खतरनाक साबित हो सकता है। अगर सतर्कता और सुरक्षा के नियमों की अनदेखी ऐसे ही जारी रही तो कोई भी और कभी भी संक्रमण के प्रभाव में आ सकता है। युवाओं को समझना होगा कि वे अकेले नहीं हैं, अगर वे संक्रमण के प्रभाव में आए तो उनके साथ उनका पूरा परिवार और समाज इसकी जद में आ सकता है। इसलिए वे अपने साथ दूसरे युवाओं और मित्रों को जागरूक करें। उन्हें सजग रहकर सतर्कता बरतने को कहें। उन्हें बताना होगा कि उनकी पहल के बिना समाज बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है, उनके मार्ग पर ही सभी चलते हैं, इसलिए उनकी सतर्कता सबसे पहले जरूरी है।
युवा सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता को दे सकते हैं बढ़ावा:
शिक्षाविद और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. किंशुक पाठक कहते हैं कि समाज के हरेक वर्ग के सहयोग से ही संक्रमण के बढ़ते प्रभाव पर रोक लगाना संभव है। किसी भी समाज के विकास में युवाओं का योगदान सबसे अहम होता है। इनके कार्यों का काफी दूरगामी प्रभाव पड़ता है। आज युवाओं का एक बड़ा तबका सामाजिक कार्यों में सक्रिय है। ऐसे में कोविड-19 से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने में इन्हें अपनी अहम भूमिका अदा करनी होगी। आज प्रसार के सबसे बड़े माध्यम सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि हैं। कोविड-19 के दौर में इसमें लोगों की सक्रिया भी काफी बढ़ गई है। इसलिए इसके माध्यम से युवा आम जनों के साथ समाज को जागरूक करने का काम कर सकते हैं। इसके जरिए आम नागरिकों को बताया जा सकता है कि वे घर से बाहर शारीरिक दूरी का पालन करें। मास्क का प्रयोग और स्वच्छता को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लें। डॉ. पाठक ने युवाओं से अपील की कि जरूरत हो तो ही घर से निकलें, इस दौरान पूरी सतर्कता बरतें। कहा कि युवा आगे बढ़कर पहल करें और सजगता बरतें तो निश्चय ही कोरोना को पराजित किया जा सकता है।
इस तरह खतरे को न दें न्योता, रहें सतर्क:
- मोहल्लों-गलियों में समूह में बैठक करना और ताश आदि खेलना।
- दोस्तों संग शाम में सड़कों-बाजारों में घूमने के ख्याल से निकल जाना।
- समूह में क्रिकेट, फुटबॉल खेलने के लिए निकल जाना।
- बाजार-दुकान में खरीदारी करने में ज्यादा वक्त लगाना।
- बाइक पर सवार होकर एक साथ दो-तीन लोगों का निकलना।
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