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बारहमासा रंगमंडल द्वारा नाटक स्वयंदीपा का भव्य मंचन
नईदिल्ली-
नाटक स्वयंदीपा दैत्य गुरु शुक्राचार्य, उनकी सुपुत्री देवयानी व अंगिरा ऋषि के पौत्र कच के मृत संजीवनी ज्ञान के अर्जन के प्रसंग को दृश्यमान बनाता है। कच, दैत्यऋषि शुक्राचार्य के यहां ज्ञानार्जन करने आते हैं, यहां कच को शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी मिलती हैं। देवयानी के विवाह प्रस्ताव को कच ठुकरा देता है । इस बात से क्रोधित होकर देवयानी कच को श्राप देती है कि आपके द्वारा अर्जित मृत संजीवनी ज्ञान आप पर फलित नहीं होगी । कच भी देवयानी को श्राप दे देतें हैं कि आपका भी विवाह किसी ब्रह्माण कुल में नहीं होगा | कच देवलोक प्रस्थान कर जाते हैं। देवयानी का विवाह मानवराज ययाति से होता है। जो उसे धोखा देकर शर्मिष्ठा से गुप्त विवाह कर लेते हैं। देवयानी का हृदय चोट खाता है। वह ऐसे धोखेबाज व्यक्ति के साथ रहना स्वीकार नहीं करती और उनका राजभवन छोड़कर पिता के आश्रम में लौट आती है। मंच पर दैत्य गुरु शुक्राचार्य की भुमिका दिल्ली रंगमंच के सशक्त रंगकर्मी अभिनेता श्री मुकेश झा ने किया, मनीषा, पुष्पा कुमारी, माया नन्द झा, राजेश कुमार, निर्भय कर्तव्य, उमा, तरुण झा और रिंकेश ने अपने अपने चरित्रों को बखूबी निभाया | प्रकाश व्यवस्था पर और बेहतर हो सकती थी | बारहमासा रंगमंडल द्वारा 11 दिसंबर 2025 को श्रीराम सेंटर प्रेक्षागृह में माधुरी सुबोध लिखित और अरविन्द सिंह चंद्रवंशी निर्देशित नाटक स्वयंदीपा का भव्य मंचन किया गया |

रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar